पूर्वाग्रह से बंधन तक: मेरे पूर्वाग्रह को चुनौती देना, लड़कियों को सशक्त बनाना और विज्ञान के माध्यम से समुदाय का निर्माण करना ।

Kavya Kadia  | 

काव्या कादिया बताती हैं कि कैसे एक युवा पाकिस्तानी शोधकर्ता के साथ आकस्मिक मुलाकात ने वैज्ञानिक अनुसंधान, समुदाय और महिला सशक्तिकरण पर उनके दृष्टिकोण को बदल दिया।

क्या आप कभी किसी ऐसे व्यक्ति से मिलें हैं जिसने आपके किसी पुरानी विचारधारा या दृष्टिकोण को पूरी तरह बदल दिया हो ?

एक युवा शोधकर्ता के रूप में, मुझे अक्सर दूसरे देशों के लोगो के साथ मिलकर काम करने या बात करने का अवसर मिलता था।  लेकिन मैं उन अवसरों को  छोड़ दिया करती थी। मैं सोचती थी की हमारी विचारधाराएं, हमारी सोच आपस में मेल नहीं खा पाएंगी। 


लेकिन इनाया से मिलने के बाद मेरी ये सोच पूरी तरह बदल गयी।  इनाया पाकिस्तान के इस्लामाबाद शहर से थी। उसने मुझे यह सिखाया कि राष्ट्रीयता से परे भी समुदाय बनाया जा सकता है। मैं हमेशा सोचती थी कि विभिन्न देशों के लोग एक साथ मिलकर प्रभावकारी काम नहीं कर सकते।  खासतौर से उस देश का एक व्यक्ति जिसका मेरे अपने देश भारत के साथ विभाजन का एक लंबा और जटिल इतिहास रहा है।

पर इनाया ने मेरी ये सोच हमेशा के लिए बदल दी।  दो भिन्न देशों से होने के बावजूद भी हम दोनों एक दूसरे के साथ बेहतरीन तरीके से काम कर पाए क्योंकि हमारा लक्ष्य एक था।  हम दोनों दुनिया में विज्ञान के द्वारा बदलाव लाना चाहते थे। उसने मुझे प्रेरणा दी विज्ञान को जोड़ने वाली एक ताकत के जैसे देखने की जो सबसे पहले महिलाओं को सशक्त बनाता है। 

हमने न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज के लिए एक शोध परियोजना पर एक साथ काम किया, जहां हमने छात्रों को जलवायु परिवर्तन के बारे में सिखाने के लिए एक शिक्षा एप्लीकेशन मॉडल विकसित किया।पाकिस्तान, नाइजीरिया, ब्राजील और मिस्र के असाधारण बुद्धि वाले लोगों के साथ काम करते हुए, मुझे एहसास हुआ कि जलवायु परिवर्तन जैसे व्यापक मुद्दे पर सहयोग की विशेष आवश्यकता है।

दुनिया को और अधिक महिला समूहों की आवश्यकता है क्योंकि विविधता नवाचार को बढ़ावा दिया जाता है, समानता प्रगति को बढ़ावा देती है और प्रतिनिधित्व भावी पीढ़ियों को प्रेरित करता है।
— काव्या कादिया


उनके साथ काम करके मुझे पता चला कि लड़कियां कितनी ताकतवर हो सकती हैं। उन्हें अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा जैसे वित्तीय और शैक्षणिक संसाधनों की कमी, फिर भी उन्होंने वैज्ञानिक बनने के अपने सपने को कभी नहीं छोड़ा।इनाया मेरे लिए प्रेरणा बनी और उन्होंने मुझे दिखाया कि अगर आप ठान लें तो कुछ भी संभव है। मुझे एहसास हुआ कि इससे कोई फरक नहीं पड़ता की आप कौन हैं या कहाँ से आयें हैं, ज़रूरी ये है की आप करना क्या चाहते है।  मैं ये जान चुकी थी की मैं भी अपने लिंग या पृष्ठभूमि की परवाह किए बगैर कुछ भी कर सकती हूं।

एक ऐसे व्यक्ति से मिलना जिसके देश के रिश्ते आपके खुद के देश के साथ काफी जटिल रहे हों, खुद के पूर्वाग्रहों (पुरानी धारणाओं ) पर काबू पाने, और उनसे ऊपर उठने के लिए एक शक्तिशाली मौका और सबक था।वैज्ञानिक ज्ञान की हमारी साझा खोज ने यह साबित कर दिया कि सहयोग की कोई सीमा नहीं होती और एकता सबसे अप्रत्याशित संयोजन से भी उभर सकती है।इसने मुझे STEM शिक्षा जारी रखने के लिए प्रेरित किया, इस ज्ञान से लैस होकर कि जिन चुनौतियों का मैं सामना कर रही हूं वे दुर्गम बाधाएं नहीं हैं, बल्कि विकास और सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं।


विज्ञान सभी महिलाओं को सशक्त बना सकता है, जैसे इसने मुझे सशक्त बनाया है। जब हम एक साथ काम करते हैं, तो हम दुनिया की कुछ सबसे गंभीर समस्याओं  जैसे लैंगिक असमानता, जलवायु परिवर्तन, गरीबी को हल कर सकते हैं और एक अधिक न्यायसंगत भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।

दुनिया को और अधिक महिला वैज्ञानिकों की आवश्यकता है क्योंकि विविधता नवाचार को बढ़ावा देती है, समानता प्रगति को बढ़ावा देती है और प्रतिनिधित्व भावी पीढ़ियों को प्रेरित करता है। जब महिलाएं वैज्ञानिक समुदाय में अपने अद्वितीय दृष्टिकोण, कौशल और प्रतिभा का योगदान देती हैं, तो यह हमारे सामूहिक ज्ञान को समृद्ध करती है और हमारी चुनौतियों के अधिक समग्र समाधान की ओर ले जाती है।

वैज्ञानिक क्षेत्रों में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना न केवल महिलाओं को अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनाता है बल्कि समाज के सभी क्षेत्रों में समावेशिता की एक मिसाल भी कायम करता है।जब युवा लड़कियां सफल महिला वैज्ञानिकों को देखती हैं, तो वे बड़े सपने देखने और रूढ़िवादिता को तोड़ने के लिए प्रोत्साहित होती हैं। 

अंत में, इनाया से मिलने और उसके साथ काम करने से मेरा विश्वास फिर से पुष्ट हुआ कि विज्ञान एक ताकत है जो लोगों को एकजुट और सशक्त बनाती है। यह एक ऐसा उपकरण है जो बाधाओं को तोड़ता है।
— काव्या कादिया

इनाया के साथ शोध करने की सबसे अच्छी बात यह थी कि उसने मेरी गलतफहमियों को खत्म कर दिया और विज्ञान के प्रति एक ऐसा उत्साह जगाया जो मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया था।जैसे-जैसे मैं हमारे सहयोगात्मक शोध में आगे बड़ी, मुझे एहसास हुआ कि STEM केवल विषयों का एक संग्रह नहीं है; यह भविष्य के लिए नए लोगों, दृष्टिकोणों और समाधानों का प्रवेश द्वार है।

उस युवा पाकिस्तानी शोधकर्ता के दृढ़ संकल्प का साक्षी होना, जिसने बाधाओं को चुनौती दी और विज्ञान के प्रति अपने जुनून को अपनाया, उसने  मुझे गहराई से प्रभावित किया।उनकी कहानी ने STEM में अधिक युवा महिलाओं को शामिल करने की तात्कालिकता पर प्रकाश डाला, न केवल समानता के लिए, बल्कि इसलिए कि हमारे दृष्टिकोण और प्रतिभाएं नवीन सफलताओं के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं।

अंत में, इनाया से मिलने और उसके साथ काम करने से मेरा विश्वास फिर से पुष्ट हुआ कि विज्ञान एक ताकत है जो लोगों को एकजुट और सशक्त बनाती है। यह एक ऐसा उपकरण है जो बाधाओं को तोड़ता है। यह पूर्वाग्रहों को नष्ट कर एक नयी समझ में बदल सकता है और सपनों को हकीकत में बदल सकता है। मैं अब STEM में विविधता के महत्व की, अधिक लड़कियों को शामिल करने की वकालत करने और वैज्ञानिकों के एक वैश्विक समुदाय को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हूं जो सहयोग, नवाचार और सकारात्मक बदलाव लाते हैं।

संपादक की टिप्पणी: इनाया एक उपनाम है। 

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Meet the Author
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Kavya Kadia

(she/her) is a researcher based in India. She published a research paper in a Ph.D. Journal while still she was in high school and since then she has collaborated with people from across the world in scientific research, she is currently a research assistant to Ph.D. scholars at Harvard. She is 17 years old.