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काव्या कादिया बताती हैं कि कैसे एक युवा पाकिस्तानी शोधकर्ता के साथ आकस्मिक मुलाकात ने वैज्ञानिक अनुसंधान, समुदाय और महिला सशक्तिकरण पर उनके दृष्टिकोण को बदल दिया।

24-वर्षीय डॉक्टर माहरुख जैदी कहती हैं, "मैंने कभी भी विकलांग डॉक्टर के बारे में देखा, पढ़ा या सुना नहीं था, इसलिए मैंने (गलती से) मान लिया कि डॉक्टरी की पढ़ाई मेरे लिए नहीं है।"

भारत, इंडोनेशिया, मेक्सिको, नाइजीरिया और अमेरिका की युवा महिलाएं साझा करती हैं कि महामारी के दौरान विश्वविद्यालय में जाना कैसा है।

माहवारी के बारे में ये ग़लत धारणाएं दुनिया भर में लड़कियों को उनकी क्षमताओं के मुताबिक काम करने से रोकती हैं।